Dr. Prashant Verma
Department Of Philosophy, Delhi
University
prashantverma2105@gmail.com
आमुख
हिंदू धर्म, जो हजारों वर्षों से भारतीय संस्कृति और समाज का एक अभिन्न हिस्सा रहा है, आज भी विभिन्न कलात्मक अभिव्यक्तियों और सिनेमा पर गहरा प्रभाव डालता है। धर्म और कला का संबंध प्राचीन काल से ही देखा जाता रहा है, जहाँ मूर्तिकला, चित्रकला, नृत्य, संगीत और साहित्य में हिंदू मिथकों, प्रतीकों और धार्मिक भावनाओं को अभिव्यक्त किया गया है। समकालीन कला और सिनेमा के माध्यम से यह प्रभाव और भी व्यापक रूप से देखा जा सकता है, जहाँ हिंदू धर्म के तत्व आधुनिक संदर्भों में पुनः व्याख्यायित किए जा रहे हैं।
भारतीय सिनेमा, विशेष रूप से बॉलीवुड और क्षेत्रीय सिनेमा, हिंदू धार्मिक कथाओं, मूल्यों और प्रतीकों को अपने कथानक, संवाद और दृश्यात्मक प्रस्तुतियों में शामिल करता आया है। रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों पर आधारित फिल्में और धारावाहिक न केवल धार्मिक आस्था को सशक्त बनाते हैं, बल्कि उन्हें आधुनिक समाज के लिए प्रासंगिक भी बनाते हैं। समकालीन फिल्मों में भी हिंदू धर्म के तत्व, जैसे कर्म, धर्म, पुनर्जन्म और आध्यात्मिकता, कहानी के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में देखे जा सकते हैं।
इसी तरह, आधुनिक कला जगत में भी हिंदू प्रतीकवाद का उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है। समकालीन चित्रकार, मूर्तिकार और डिजिटल कलाकार हिंदू देवी-देवताओं, मंदिरों की वास्तुकला, धार्मिक अनुष्ठानों और पौराणिक कथाओं को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत कर रहे हैं। यह कला केवल धार्मिक सीमाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक पहचान, सामाजिक विमर्श और वैश्विक आध्यात्मिकता को भी व्यक्त करने का माध्यम बन रही है।
यह शोध हिंदू धर्म के समकालीन कला और सिनेमा पर प्रभाव को गहराई से समझने का प्रयास करेगा। यह अध्ययन इस बात की पड़ताल करेगा कि किस प्रकार धार्मिक तत्वों का प्रयोग आधुनिक कलाकारों और फिल्म निर्माताओं द्वारा किया जाता है, और कैसे ये तत्व समाज की धार्मिक चेतना और सांस्कृतिक प्रवाह को प्रभावित करते हैं।
संकेत शब्द : संस्कृति, हिंदू मिथकों, व्याख्यायित, कथानक, महाकाव्यों पर आधारित फिल्में और धारावाहिक, प्रासंगिक, सशक्त, हिंदू प्रतीकवाद, धार्मिक तत्वों, धार्मिक चेतना और सांस्कृतिक प्रवाह।